ऑटो निर्माताओं पर यह नियम 1 अप्रैल 2021 से लागू हो जाएंगे। नए नियम उन सभी वाहनों पर लागू होंगे जो गाड़ी / उपकरण या फिर सॉफ्टवेयर में खराबी के कारण सड़क सुरक्षा या पर्यावरण के लिए नुकसानदायक पाए जाएंगे।
ऑटोमोबाइल कंपनियों आपको गाड़ी बेचती हैं और वाहन में अगर किसी भी तरह की खराबी आती है तो अब उन पर भारी जुर्माना लगाने की तैयारी है। अगर सरकार री-कॉल ऑर्डर को पास कर देती है तो अप्रैल के महीने से ऑटो निर्माताओं और इंपोर्ट करने वाली कंपनियों को 10 लाख रुपये से लेकर 1 करोड़ रुपये तक का भारी जुर्माना देना पड़ सकता है। इसे लेकर सरकार ने एक अधिसूचना जारी की है।
अब तक ऑटो कंपनियां अपनी इच्छा अनुसार वाहनों को री-कॉल करती थीं। लेकिन इस प्रस्ताव के बाद अब सरकार किसी भी ऑटो कंपनी को री-कॉल का आदेश दे सकती है।
ग्राहकों नहीं देना होगा कोई चार्ज
परिवहन मंत्रालय द्वारा अधिसूचित केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम के तहत वाहनों की टेस्टिंग और अनिवार्य री-कॉल के लिए नियम, निर्माताओं या आयातकों को स्वैच्छिक री-कॉल करने में नाकाम रहने पर जुर्माना देने का प्रावधान करता है।
हालांकि कई लोग कम जुर्माने की आलोचना कर रहे हैं। मंत्रालय ने अधिकारियों ने अपनी कार्रवाई का बचाव करते हुए कहा कि इस समय कोई जुर्माना नहीं देना पड़ता है। अह ऑटो निर्माताओं को वाहन में आई खराबी को ठीक करने की लागत के अतिरिक्त जुर्माना देना होगा।
ग्राहक से किसी भी तरह का कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। ऑटो निर्माताओं पर यह नियम 1 अप्रैल 2021 से लागू हो जाएंगे। नए नियम उन सभी वाहनों पर लागू होंगे जो गाड़ी / उपकरण या फिर सॉफ्टवेयर में खराबी के कारण सड़क सुरक्षा या पर्यावरण के लिए नुकसानदायक पाए जाएंगे।
इन मॉडल पर लागू होंगे नियम
यह नियम उन मॉडल पर लागू होंगे, जिनमें 7 साल के दौरान शिकायतें पाईं गई हैं। ऐसी कारों को री-कॉल करना जरूरी होगा। सरकार ने री-कॉल करने की सीमा को भी अंतिम रूप दे दिया है, जिस बारे में जल्द ही अधिसूचना जारी की जाएगी।
इन री-कॉल्स में 6 लाख टू व्हीलर्स गाड़ियां और 1 लाख से ज्यादा चार पहिया वाहन, 3 लाख तीन पहिया वाहन और क्वाड्रिसाइकिल शामिल होंगे जिनपर 1 करोड़ तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। इस सूची में वे वाहन भी शामिल हैं जो 9 यात्रियों को बैठाती हैं या फिर भारी सामान की ढुलाई करती हैं। ऐसे में इन पर भी 1 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है।
कितनी शिकायत मिलने पर होगी कार्रवाई
इसे एक उदाहरण के जरिए समझते हैं। मान लीजिए अगर कोई कंपनी सालाना 500 यूनिट्स कार या एसयूवी की बिक्री करती है और 100 वाहनों में ग्राहकों की शिकायतें मिलती हैं। यानी 20 फीसदी यूनिट्स में शिकायत मिली है तो उन्हें वाहन री-कॉल करना होगा।
वहीं कार और एसयूवी के मामले में अगर सालाना बिक्री 501 से लेकर 10,000 यूनिट्स के बीच होती है तो 1050 शिकायतें मिलने पर री-कॉल की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। किसी भी कंपनी की गाड़ियों को तभी री-कॉल किया जाएगा जब शिकायतें 1250 के आंकड़े को पार कर जाएंगी। दोपहिया और तीन पहिया वाहनों के लिए भी कुछ ऐसा ही फॉर्मूला है।
सरकार ऐसी जमा करेगी शिकायतें
बसों, ट्रकों, बड़े यात्री वाहनों समेत बाकी श्रेणी के वाहनों के लिए भी एक जैसा फॉर्मूला होगा। इन मामलों में, सालाना बिक्री की 3 फीसदी शिकायतें मिलने पर री-कॉल की प्रक्रिया शुरू करनी होगी।
सरकार जल्द ही वाहन मालिकों के लिए एक पोर्टल शुरू करने की तैयारी में है, जिससे वे अपनी शिकायत दर्ज कर सकें। इस शिकायतों के आधार पर ऑटो निर्माताओं को नोटिस भेजा जाएगा। ऑटो कंपनियों को नोटिस का जवाब 30 दिनों के भीतर देना होगा।
कंपनियों के जवाब के आधार पर एजेंसी इस बात की जांच करेगी कि ऑटो निर्माताओं के वाहन में आई गड़बड़ी की शिकायत सही है या नहीं। और क्या उनकी गाड़ियों को री-कॉल करना चाहिए।