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E-Vehicle Scrappage Policy: अब आप Petrol-Diesel की कारों की तरह ही Electric Vehicle को कुछ ही सालों तक चला पाएंगे. खबर में जानें कितनी है आपके पास मौजूद EV की डेडलाइन और क्या है नई स्क्रैपेज पॉलिसी.

E-Vehicle Scrappage Policy: देश में बढ़ते पोल्यूशन से अब लोग परेशान हो चुके हैं. ऐसे में पेट्रोल और डीजल के व्हीकल्स को सभी लोग इग्नोर करना पसंद कर रहे हैं. अपना रुख लोग इलेक्ट्रिक व्हीकल (Electric Vehicle) की ओर ज्यादा अपना रहे हैं. अगर आपने भी Electric Vehicle खरीद लिया है तो ये खबर आपके लिए ही है. Electric Vehicle को आज के समय का बेस्ट ऑप्शन, यानी की अच्छा डिसिजन बताया गया है. इसको लेकर केंद्र के साथ-साथ तमाम राज्‍य सरकारें E-Vehicle को लेकर नई-नई योजनाएं और नीतियां लेकर आ रही हैं. 

ईलेक्ट्रिक वाहल खरीदते समय लोगों को इंसेंटिव के साथ ही लोन की सुविधा और कुछ हद तक छूट भी दी जा रही है. लेकिन आपके पास मौजूद इस इलेक्ट्रिक वाहल की कितनी उम्र है यानी कि ये जान लें कि E-Vehicle को कितने साल तक सड़क पर चलाने के बाद स्‍क्रैप (E-Vehicle Scrappage) किया जाएगा.

क्या है नई E-Vehicle Scrappage Policy

दरअसल सरकार ने Petrol Vehicles और Diesel Vehicle के लिए अलग-अलग टाइम लिमिट सेट की है. इसका मलतब ये कि पेट्रोल वाहनों (Petrol Vehicles) की डेडलाइन केवल 15 साल और डीजल वाहनों (Diesel Vehicles) डेडलाइन केवल 20 साल की होगी. हाल में केंद्र की नई व्‍हीकल स्‍क्रैपेज पॉलिसी (Vehicle Scrappage Policy) में पेट्रोल और डीजल से चलने वाली गाड़‍ियों को कबाड़ में शामिल करने को लेकर नई पॉलिसी बनाई गई हैं. 

नई पॉलिसी के अनुसार, Petrol-Diesel की 15 और 20 साल पुरानी गाड़‍ियों को स्‍क्रैप (Scrape) कर दिया जाएगा, जो बाद में आपके लिए कोई काम की नहीं रहेगी. इसके अलावा जो वाहन व्‍यावसायिक (Commercial Vehicle) कौर पर चलते हैं उन्हें भी 15 साल और प्राइवेट कार को 20 साल के बाद स्क्रैप कर दिया जाएगा.

Electric vehicle को स्‍क्रैप करने का एक ही है इंसेंटिव और प्रोसेस

Electric Vehicle को लेकर दिल्‍ली के पॉलिसी रिसर्च इंस्‍टीट्यूट, काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वॉटर (CEEW) में सीनियर प्रोग्राम लीड Himani Jain ने बताया कि इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर भी स्‍क्रैपेज के नियम हैं. क्योंकि वाहनों को स्क्रैप करने (एक समय सीमा के बाद इस्तेमाल से बाहर करने) की पॉलिसी उसमें इस्तेमाल होने वाली फ्यूल टेक्नोलॉजी (Fuel Technology) में भेदभाव नहीं करती है. इसलिए इलेक्ट्रिक वाहनों को स्क्रैप करने के लिए इंसेंटिव और प्रोसेस दूसरे वाहनों जैसी ही है.’

उन्होंने आगे बताया कि कॉमर्शियल इलेक्ट्रिक वाहन, बसें, गाड़‍ियां 15 साल के बाद कबाड़ बन जाएंगी. ऐसा ही नियम प्राइवेट व्हीकल्स के लिए लागू होगा. ऐसे में EV खरीदने के लिए सोच रहे लोग बिना किसी चिंता के ये वाहन खरीद सकते हैं.

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