नौकरीपेशा लोगों को ट्रांसफर होने पर अकसर एक बड़ी दिक्कत का सामना करना पड़ता है वह है एक राज्य से दूसरे राज्य में वाहन का री-रजिस्ट्रेशन करना। इसके लिए उन्हें न केवल अच्छी खासी मशक्कत करनी पड़ती है, बल्कि जेब भी ज्यादा ढीली करनी पड़ती है। पिछले काफी समय से सरकार से इस समस्या के हल की मांग उठ रही थी। सरकार ने इसे आसान बनाने को लेकर एक मसौदा अधीसूचना जारी की है, जिसके तहत ऐसे वाहनों को खास सीरीज के नंबर जारी किए जाएंगे।
IN Series के नंबर अलॉट होंगे
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने एक से दूसरे राज्य में निजी वाहनों के ट्रांसफर करने को लेकर बड़ा कदम उठाया है। बुधवार को जारी मसौदा अधिसूचना (ड्राफ्ट नोटिफिकेशन) के मुताबिक एक राज्य से दूसरे राज्य में शिफ्ट होने वाले निजी वाहनों की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए ऐसे वाहनों को IN Series के नंबर अलॉट किए जाएंगे। सरकार ने यह कदम लोगों की सहूलयितों और इसे लेकर पैदा हो रही तकनीकी समस्या को देखते हुए उठाया है। इस ड्राफ्ट नोटिफिकेशन पर मंत्रालय ने 30 दिनों के भीतर राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के अलावा आम नागरिकों से सुझाव मांगा है।
ऐसे देना होगा टैक्स
मंत्रालय की तरफ से जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक सरकार के इस कदम से देश के कई नागरिकों को फायदा होगा। अधिसूचना के मुताबिक ऐसे वाहनों के लिए सरकार ने विशेष तौर पर प्रावधान रखा है कि उन्हें खास सीरीज के नंबर अलॉट किए जाएंगे। फिलहाल इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लॉन्च किया जा रहा है। ऐसे वाहनों से सरकार दो साल के लिए या दो साल के मल्टीप्लीकेशन में मोटर व्हीकल टैक्स लेगी। इस पूरी प्रक्रिया का फायदा यह होगा कि लोगों को दोनों राज्यों के आरटीओ के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे, क्योंकि पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी। वहीं जिन लोगों की ट्रांसफरेबल जॉब है उन्हें इसका काफी फायदा होगा।
इन्हें मिलेगा फायदा
सरकार के इस कदम फायदा डिफेंस सेक्टर, पब्लिक सेक्टर यूनिट्स, केंद्र एवं राज्य सरकार के कर्मचारियों के अलावा पांच से ज्यादा राज्यों/केंद्रशासित राज्यों में जिन प्राइवेट कंपनियों के ऑफिस हैं, उनके कर्मचारियों को इसका फायदा मिलेगा। फिलहाल जो नियम है उसमें एक से दूसरे राज्य में वाहन को ट्रांसफर कराने के लिए वाहन का री-रजिस्ट्रेशन होता है। जिसके चलते लोगों को काफी मुश्किल प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है।
ये है मौजूदा प्रक्रिया
फिलहाल मोटर व्हीकल अधिनियम, 1988 की धारा-47 के मुताबिक एक से दूसरे राज्य में ट्रांसफर होने वाले कर्मचारियों को अपने वाहनों का री-रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है। जिसके तहत उन्हें 15 साल में से बचे हुए सालों का रोड टैक्स जमा कराना पड़ता है। वहीं पुराने राज्य से एनओसी लेनी पड़ती है और नए राज्य में जमा करानी पड़ती है। साथ ही रोड टैक्स की रकम के दावे के लिए जहां गाड़ी पहले रजिस्टर्ड थी, उस राज्य को आवेदन करना होता है, जिसके चलते कई लोग क्लेम ही नहीं लेते हैं। सरकार इसके लिए लोगों को 12 महीने का वक्त देती है। वहीं सरकार को अब उम्मीद है नए ड्राफ्ट रूल्स से लोग दूसरे राज्यों में बेरोकटोक आवाजाही कर सकेंगे।