सड़क में किसी वाहनों में वीआईपी नंबर लोगों का ध्यान आकर्षित कर लेता है। इसी बात को बखूबी जानते हुए लोगों में अपने वाहनों के लिए वीआईपी नंबर लेने की होड़ लगी रहती है। मध्य प्रदेश के इंदौर में भी वीआईपी नंबरों की नीलामी में 60 से ज्यादा नंबर नीलाम हुए। कार के नंबर एमपी 09 डब्लू एच 0021 के लिए चार दावेदारों ने नीलामी में हिस्सा लिया। इस नंबर के लिए 15 हजार रुपये की बेस प्राइस पर 74 हजार रुपये की सबसे ज्यादा बोली लगाई गई। जबकि सबसे ज्यादा मांग वाली 0001 के लिए दो दावेदारों ने बोली लगाई। 1.56 लाख रुपये की सबसे ज्यादा बोली लगाकर एक दावेदार ने यह नंबर खरीद लिया। परिवहन विभाग अगली नीलामी की प्रक्रिया एक मार्च से सात मार्च तक आयोजित करेगा।
सिर्फ कार के 0001, 0009, 0055, 0909, 9999, 7000, 0021 और 0031 नंबर के लिए ही एक से ज्यादा दावेदारों ने बोली लगाई थी। अन्य नंबरों के लिए अब तक एक-एक ही दावेदार सामने आए। वीआईपी नंबर में 0001 की मांग सबसे ज्यादा रहती है, लेकिन इस नंबर की बोली लगाने में सिर्फ दो लोगों ने ही दिलचस्पी दिखाई। एक लाख रुपये की बेस प्राइज वाला यह नंबर एक लाख 56 हजार रुपये में नीलाम किया गया। एआरटीओ अर्चना मिश्रा ने बताया कि वैसे तो यह नीलामी सभी श्रेणी के वाहनों के लिए होती है लेकिन कार के नंबरों को लेकर लोग काफी उत्साहित रहते हैं। इस बार कार की नई सीरीज आई थी, जिसकी वजह से नए नंबर बेचे गए।
इसके अलावा दोपहिया वाहनों के नंबरों की भी नीलामी की जाती है। राज्य भर में सबसे ज्यादा नंबर इंदौर में ही बिकते हैं। बता दें कि इंदौर आरटीओ में 41 हजार से ज्यादा वीआइपी नंबर खाली पड़े हैं। लोग प्रमुख नंबर बोली लगा कर खरीद लेते हैं। अन्य वीआइपी नंबर खाली हैं। अधिकारी इन नंबरों को सामान्य रूप से आवंटित करने को लेकर कई बार परिवहन मुख्यालय पत्र भेज चुके हैं। लेकिन अब तक इस पर कोई फैसला नहीं किया जा सका है।
यह होगी प्रक्रिया
आवेदक वाहनों की बेस प्राइस की राशि भर कर इस बोली प्रक्रिया में शामिल हुए हैं। इससे ज्यादा राशि की बोली लगाने पर उन्हें बेस प्राइस और खरीदी की कीमत के अंतर की राशि अगले सात दिनों में आरटीओ में जमा करवानी होगी। इसके बाद परिवहन विभाग एक चिट्ठी भेजेगा। इसके आधार पर अगले 60 दिनों में वाहन का पंजीकरण कराना आवश्यक होगा। अगर सात दिनों में बोली की कीमत के अंतर की राशि या 60 दिनों में वाहन का रजिस्ट्रेशन नहीं करवाया गया तो नंबर को लॉक कर दिया जाता है। फिर इसे अगली नीलामी में उतार दिया जाता है।